Zindagi Gulzar hai quotes | Gulzar quotes on life | गुलज़ार साहब Shayari in Hindi | Gulzar Shayari in Hindi | Gulzar Quotes in Hindi
गुलज़ार साहब को कौन नहीं जानता
इनका एक नाम सम्पूर्ण सिंह कालरा है इनका जन्म 18 अगस्त 1934 में दीना गॉव में हुआ था ये एक प्रसिद्ध लेखक, कवि, पटकथा और शायर भी है I गुलज़ार साहब को साहित्य अकडेमी पुरस्कार के साथ साथ भारत सरकार के द्वारा तीसरा सर्वोच्यम नागरिक पुरस्कार से सम्मनित किया गया है इसके साथ – साथ और भी कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है I
गुलज़ार साहब शायरी की दुनिया में भी उतना ही नाम कमा चुके है जितना उन्होंने गाने फिल्मो आदि में कमाया है I गुलज़ार साहब ने कई भाषाओ में लेखन कार्य कर चुके है जैसे हिंदी, उर्दू, पंजाबी, ब्रज भाषा, हरियाणवी, मारवाड़ी आदि I
लेखन दुनिया से पहले गुलज़ार जी मुंबई में मेकैनिक का काम किया उन्होंने खाली समय में कविताये भी लिखी है जिसके बाद बन्दिनी फिल्म में गुलज़ार साहब ने अपना पहला गाना लिखा I इसी के साथ उनकी प्रसिद्ध किताब है चौरस रात ( लघु कथा) जानम (कविता) एक बून्द चाँद ( कविताएं) रावी पार (कथा ) आदि
Gulzar Shayari in Hindi | गुलज़ार साहब शायरी
एक समंदर है जो मेरे काबू में है
और एक कतरा है जो
मुझसे सम्हाला नहीं जाता
एक उम्र है जो बितानी है
उसके बगैर
और एक लम्हा है जो
मुझसे गुज़ारा नहीं जाता
रात भर
करता रहा
तेरी तारीफ
चाँद से
चाँद
इतना जला के
सुबह तक सूरज हो गया
कहाँ से लाऊ में इतना सब्र
थोड़े से मिल क्यों नहीं जाते तुम
कुछ ऐसे किस्मत वाले है
की जिनकी किस्मत होती नहीं
हसना भी मना होता है उन्हें
रोने की इज़ाज़त होती नहीं
बेनाम सा मौसम जीते है
बेरंग फ़ज़ा मिल जाती है
मरने की घड़ी मिलती है अगर
जीने की सजा मिल जाती है
बुझ जाएँगी सारी आवाजें
यादे यादें रह जाएँगी
तस्वीर बचेंगी आँखों में
और बातें सब बह जाएँगी
उम्र जाया कर दी
लोगो ने औरो के
वजूद में नुक्स
निकालते –
निकालते
इतना खुद को
तराशा होता तो
फ़रिश्ते बन जाते
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इतना क्यों सिखाये
जा रही हो ज़िन्दगी
हमें कौन सा सदियाँ
गुज़ारनी है यहाँ
अजीब तरह से
गुज़र रही है ज़िन्दगी
सोचा कुछ, किया कुछ
हुआ कुछ , मिला कुछ
अगर बे -ऐब चाहते हो तो
फ़रिश्तो से रिश्ता कर लो
मैं इंसान हूँ ख़ताएँ
मेरी विरासत है
इच्छाएं
बड़ी बेवफा होती है
कमब्खत ,
पूरी होते ही
बदल जाती है
खत जो लिखा मैंने
इंसानियत के पते पर
डाकिया ही चल बसा
पता ढूंढते – ढूंढते
सब अपने से
लगते है ,
लेकिन सिर्फ
बातो से। ……..
मैं तो चाहता हूँ
हमेशा मासूम बने रहना
ये जो ज़िन्दगी है
समझदार किये जाती है
याद दाश का कमजोर होना
कोई बुरी बात नहीं
बहुत बैचैन रहते है वो लोग
जिन्हे हर बात याद रहती है
सबको मालूम है बाहर की
हवा है कातिल
यूँ कातिल से उलझने की
ज़रूरत क्या है
धुप उठा ले
लम्बा सफर है
काम देगी छाँव भी रख ले
थकने लगेगा तो आराम देगी
सिर्फ शब्दों से करना
किसी के वज़ूद के पहचान
हर कोई उतना कह नहीं पाता
जितना समझता और महसूस करता है