माँ की ममता पर शायरी | Maa Shayari in Hindi | माँ के चरणों में जन्नत है शायरी | Maa Par Shayari in Hindi
Maa Shayari in Hindi | माँ पर शायरी
घुटनों से रेंगते – रेंगते कब पैरो पर खड़ा हो गया
माँ तेरी ममता की छाँव में न जाने कब बड़ा हो गया
तुम क्या उसकी बराबरी करोगे
वो तुफानो में भी रोटिया सेक देती है
और वो माँ है जनाब डरती नहीं है
मुस्किलो को तो चूल्हे में झोक देती है
हजारो गम हो फिर भी में ख़ुशी से फुल जाता हूँ
जब हस्ती है मेरी माँ, मैं सारे गम भूल जाता हूँ
नहीं समझ पाटा इस दिखावे से क्या मिल जाता है
वो हाथ पर माँ खुदवाकर वृद्धाश्रम मिलने जाता है
हमे मांगना कहा चाहिए और हम मांगते कहा है
एक दिन रो पड़ा बहुत चिल्लाया
और भगवान के दरबार में जाकर कहने लगा की
तू क्यों नहीं सुनाता मेरी क्या दमदार मेरी दुआ नहीं है क्या
भगवान प्रकट हुए और कहने लगे की मांगने यहाँ क्यों चला आया
तेरे घर पर माँ नहीं है क्या
हालातो के आगे जब साथ न जुबा होती
पहचान लेती है खामोशी में हर दर्द
वो सिर्फ माँ होती है
उसके रहते जीवन में कभी कोई गम नहीं होता
दुनिया साथ दे या ना दे पर माँ का प्यार कभी कम नहीं होता
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प्यार जन्नत सा इसलिए लगता है
क्योकि ये भी मेरी माँ के कदमो को चूमती है
उसके होठो पर कभी बदुआ नहीं होती
बस एक माँ है जो कभी कफा नहीं होती
जमी मेरा वो हो आसमान है
वो खुदा मेरा वो ही भगवान है
क्यों मैं जाऊ कही और उन्हें छोड़ कर
माँ के कदमो में तो सारा जहाँ है मेरा
तेरे ही आँचल में निकला बचपन
तुझ से ही तो जुडी हर धड़कन है
कहने को तो सब माँ कहते है उसे
लेकिन मेरे लिए तो मेरी माँ ही भगवान है
जो बना दे सारे बिगड़े काम
माँ के चरणों में होते है चारो धाम
माँ से बढ़कर कोई नाम क्या होगा
इस नाम का हमसे एहतराम क्या होगा
जिसके पैरो के निचे जन्नत है
उसके सर का मकाम क्या होगा
माँ है महोब्बत का नाम, माँ को हजारो सलाम
करदे फ़िदा जिंदगी, आये जो बच्चो के काम
फुल कभी दोबारा नहीं खिलते
जन्म कभी दोबारा नहीं मिलता
मिलते है लोग हजार
लेकिन हजारो गलतिया माफ़ करने वाले माँ-बाप नहीं मिलते
हर इन्सान की जिंदगी में वह सबसे खास होती है
दूर होते हुए भी वो दिल के पास होती है
जिसके सामने मौत भी अपना सिर झुका दे
वह और कोई नहीं बस माँ होती
सुना – सुना सा मुझे घर लगता है
माँ नहीं होती तो बहुत डर लगता है
दावा जब असर ना करे तो नजर उतारती है
और ये माँ है जनाब हार कहा मानती है
पूछता है जब कोई दुनिया में महोब्बत है कहाँ
मुस्कुरा देता हूँ और याद आ जाती है म
शर्त लगी थी जब पूरी दुनिया को एक ही शब्द में लिखने की
वो किताबो में ढूंढ रहे थे और मैंने माँ लिख दिया
चलती फिरती आँखों से अज़ाँ देखी है
मैंने जन्नत तो नहीं देखी है माँ देखी है
किसी भी मुश्किल का अब किसी को हल नहीं मिलता
शायद अब घर से कोई माँ के पैर छूकर नहीं निकलता
सख्त राहों में भी आसान सफ़र लगता है
ये मेरी माँ की दुआओं का असर लगता है
दास्तान मेरे लाड – प्यार की बस
एक हस्ती के इर्द – गिर्द घुमती है
उमर भर तेरी मोहब्बत मेरी खिदमतगार रही माँ
मैं तेरी खिदमत के काबिल जब हुआ तू चली गयी माँ
जरा सी बात है लेकिन हवा को कौन समझाए
कि मेरी माँ दिए से मेरे लिए काजल बनाती है
माँ तो जन्नत का फूल है
प्यार करना उसका उसूल है
दुनिया की मोहब्बत फिजूल है
माँ की हर दुआ कबूल है
माँ को नाराज करना इंसान तेरी भूल है
माँ के कदमो की मिट्टी जन्नत की धूल है
गिन लेती है दिन बगैर मेरे गुजारें हैं कितने
भला कैसे कह दूं कि माँ अनपढ़ है मेरी
किसी को घर मिला हिस्से में या कोई दुकान आई
मैं घर में सबसे छोटा था मेरे हिस्से में माँ आई
रूह के रिश्तों की ये गहराइयाँ तो देखिये
चोट लगती है हमें और चिल्लाती है माँ
हम खुशियों में माँ को भले ही भूल जायें
जब मुसीबत आ जाए तो याद आती है माँ
ऊपर जिसका अंत नहीं उसे आसमा कहते है
और इस जहाँ में जिसका अंत नहीं उसे माँ कहते है
बहुत बुरा हो फिर भी उसको बहुत भला कहती है
अपने नाकारा बेटे को भी माँ दूध का धुला कहती है
नहीं हो सकता कद तेरा ऊँचा किसी भी माँ से ए खुदा
तू जिसे आदमी बनाता है, वो उसे इन्सान बनाती है
मांग लूँ यह दुआ कि फिर यही जहाँ मिले
फिर वही गोद मिले फिर वही माँ मिले
है गरीब मेरी माँ फिर भी मेरा ख्याल रखती है
मेरे लिए रोटी और अपने लिए पतीले की खुरचन रखती है
माँ की अजमत से अच्छा जाम क्या होगा
माँ की खिदमत से अच्छा काम क्या होगा
खुदा ने रख दी हो जिस के कदमों में जन्नत
सोचो उसके सर का मुकाम क्या होगा
जब जब कागज पर लिखा, मैने “माँ” का नाम
कलम अदब से बोल उठी, हो गये चारो धाम
मेरी तक़दीर में कभी कोई गम नही होता
अगर तक़दीर लिखने का हक़ मेरी माँ को होता
जिसके होने से मैं खुद को मुक्कम्मल मानता हूँ
मेरे रब के बाद मैं बस अपनी माँ को जानता हूँ
जन्नत का हर लम्हा, दीदार किया था
गोद मे उठाकर जब माँ ने प्यार किया था
कौन सी है वो चीज़ जो यहाँ नहीं मिलती
सब कुछ मिल जाता है पर माँ नहीं मिलती
तेरी डिब्बे की वो दो रोटिया कही बिकती नहीं
माँ मेंहगे होटलों में आज भी भूख मिटती नहीं
माँ तेरी याद सताती है मेरे पास आ जाओ
थक गया हूँ मुझे अपने आँचल मे सुलाओ
उंगलियाँ अपनी फेर कर बालो में मेरे
एक बार फिर से बचपन कि लोरियां सुनाओ
डांट कर बच्चो को खुद अकेले में रोटी है
वो माँ है साहब जो ऐसी ही होती है
ना अपनों से खुलता है और ना ही गैरो से खुलता है
जन्नत का दरवाजा मेरी माँ के कदमो से खुलता है
ठोकर न मार मुझे पत्थर नहीं हूँ मैं
हैरत से न देख मुझे मंज़र नहीं हूँ मैं
तेरी नज़रों में मेरी क़दर कुछ भी नहीं
मेरी माँ से पूछ उसके लिए क्या नहीं हूँ मैं
कदम जब चूमले मंज़िल तो जज़्बा मुस्कुराता है
दुआ लेकर चलो माँ की तो रस्ता मुस्कुराता है
उसकी होठो पे कभी बदूआ नही होती
बस एक माँ है जो कभी खफा नही होती
माँ-बाप से बढ़कर इस दुनिया मेरा कोई भगवान नहीं
चूका पाऊ उनके ऋण को इतनी मेरी औकात नहीं
तेरे पैरों के निचे है जन्नत मेरी,
उम्र भर सर पे साया तेरा चाहिए,
प्यारी माँ मुझको तेरी दुआ चाहिए,
तेरे आँचल की ठंडी हवा चाहिए।
माँ तो जन्नत का फूल है,
प्यार करना उसका उसूल है।
दुनिया की मोहब्बत फिजूल है,
माँ की हर दुआ कबूल है।
माँ को नाराज करना इंसान तेरी भूल है,
माँ के क़दमों की मिट्टी जन्नत की धूल है।
माँ अपने बच्चों पर सब न्योंछावर करती है,
बिना लालच उन्हें प्यार करती है,
भगवान् का दूसरा रूप है मेरी माँ,
जो हर दुःख में मेरा साथ देती है।
मत कहिये मेरे साथ रहती है माँ,
कहिये की माँ के साथ रहते है हम
इस दुनिया में जितने रिश्ते,
सारे झूठे बेहरूप,
एक माँ का रिश्ता सबसे अच्छा,
माँ है सब का रूप।
जो बना दे सारे बिगड़े काम,
माँ के चरण में होते चारों धाम।
किसी भी मुश्किल का अब किसी को हल नहीं मिलता,
शायद अब घर से कोई, माँ के पैर छूकर नहीं निकलता।
चलती फिरती आँखों से अजां देखी है,
मैंने जन्नत तो नहीं देखी,
लेकिन माँ देखी है।
मांगने पर जहां पूरी हर मन्नत होती हैं,
माँ के पैरों में ही तो वो जन्नत होती है।
भूल जाता हूँ परेशानियां ज़िंदगी की सारी,
माँ अपनी गोद में जब मेरा सर रख लेती है।
अब भी चलती है जब आंधी कभी गम की,
माँ की ममता मुझे बाहों में छूपा लेती है।
है गरीब मेरी माँ फिर भी मेरा ख्याल रखती है,
मेरे लिए रोटी और अपने लिए पतीले की खुरचन रखती है।
बालाएं आकर भी मेरी चौखट से लौट जाती हैं,
मेरी माँ की दुआएं भी कितना असर रखती हैं।
वो उजला हो के मैला हो या मँहगा हो के सस्ता हो,
ये माँ का सर है इस पे हर दुपट्टा मुस्कुराता है।
बहुत बेचैन हो जाता है जब कभी दिल मेरा,
मैं अपने पर्स में रखी माँ की तस्वीर को देख लेता हूँ।
बेसन की रोटी पर, खट्टी चटनी सी माँ…
याद आती है चौका, बासन, चिमटा, फूंकनी जैसी माँ।
शहर में आ कर पढ़ने वाले ये भूल गए,
किस की माँ ने कितना ज़ेवर बेचा था।
वो लम्हा जब मेरे बच्चे ने माँ पुकारा मुझे,
मैं एक शाख़ से कितना घना दरख़्त हुई।
नींद भी भला इन आँखों में कहाँ आती है,
एक अर्से से मैंने अपनी माँ को नहीं देखा।
पहाड़ो जैसे सदमे झेलती है उम्र भर लेकिन,
इक औलाद की तकलीफ़ से माँ टूट जाती है।
कल माँ की गोद में, आज मौत की आग़ोश में,
हम को दुनिया में ये दो वक़्त बड़े सुहाने से मिले।
आँसू निकले परदेस में भीगा माँ का प्यार,
दुख ने दुख से बात की बिन चिट्ठी बिन तार।
मैं रात भर जन्नत की सैर करता रहा यारों,
सुबह आँख खुली तो सर ‘माँ’ के कदमो में था..
फना करदो अपनी सारी ज़िन्दगी, अपनी ‘माँ’ के कदमो में यारो..
दुनिया में यही एक मोहब्बत है, जिसमे बेवफाई नहीं मिलती..
भरे घर में तेरी आहट मिलती नहीं अम्मा
तेरी बाहों की नरमाहट कहीं मिलती नहीं अम्मा
मैं तन पर लादे फिरता हूँ दुशाले रेशमी लेकिन
तेरी गोदी की गरमाहट कहीं मिलती नहीं अम्मा
प्यार, परवाह, शरारत और थोड़ा समय..
यही वो दौलत है, जो अक्सर हमारे अपने हमसे चाहते हैं..
किसी को जोड़ने में इतने मगन थे हम…
होश तब आया जब अपने वजूद के टुकड़े देखे
जब भी देखा मेरे किरदार पे धब्बा कोई,
देर तक बैठ के तन्हाई में रोया कोई।
“मेरी माँ”
वो लिखा के लायी है किस्मत में जागना,
माँ कैसे सो सकेगी कि बेटा सफ़र में है।।
जरा सी बात है लेकिन हवा को कौन समझाए,
कि मेरी माँ दिए से मेरे लिए काजल बनाती है
सीधा साधा भोला भाला मैं ही सब से सच्चा हूँ,
कितना भी हो जाऊं बड़ा माँ आज भी तेरा बच्चा हूँ
यूँ तो मैंने बुलन्दियों के हर निशान को छुआ,
जब माँ ने गोद में उठाया तो आसमान को छुआ।।
अपनी माँ को कभी न देखूँ तो चैन नहीं आता है,
दिल न जाने क्यूँ माँ का नाम लेते ही बहल जाता है।।
कभी मुस्कुरा दे तो लगता है जिंदगी मिल गयी मुझको,
माँ दुखी हो तो दिल मेरा भी दुखी हो जाता है।।
तेरे क़दमों में ये सारा जहां होगा एक दिन,
माँ के होठों पे तबस्सुम को सजाने वाले।
सबकुछ मिल जाता है दुनिया में मगर,
याद रखना की बस माँ-बाप नहीं मिलते,
मुरझा कर जो गिर गए एक बार डाली से,
ये ऐसे फूल हैं जो फिर नहीं खिलते
बहुत बुरा हो फिर भी उसको बहुत भला कहती है
अपना गंदा बच्चा भी माँ दूध का धुला कहती है।।
नहीं हो सकता कद तेरा ऊँचा किसी भी माँ से ए खुदा,
तू जिसे आदमी बनाता है, वो उसे इन्सान बनाती है।।
उसके होंठों पे कभी बद्दुआ नहीं होती,,
बस इक माँ है जो कभी खफा नहीं होती।।
मांग लूँ यह दुआ कि फिर यही जहाँ मिले,
फिर वही गोद मिले फिर वही माँ मिले
बद्दुआ संतान को इक माँ कभी देती नहीं,
धूप से छाले मिले जो छाँव बैठी है सहेज
किसी को घर मिला हिस्से में या कोई दुकान आई,
मैं घर में सबसे छोटा था मेरे हिस्से में माँ आई।।
किसी भी मुश्किल का अब किसी को हल नहीं मिलता,
शायद अब घर से कोई माँ के पैर छूकर नहीं निकलता।।
खबर मशहूर है ये जग सारे में, औलाद से ज्यादा माँ जानती है उसके बारे में
पहला मैदान मेरा मेरी माँ की गोद थी,
मैंने खेलना छोड़ दिया जिस दिन से मैंने मेरी माँ की गोद छोड़ दी।
जब कहना भी नहीं आता था मेरी माँ तब भी
समझ जाती थी की मैं क्या कहना चाहता हूँ।
भले मेरे मक़सद सारे नाकाम हो जाएं
पर बस मेरी माँ का हर काम हो जाए
मैं ना परेशान हो जाऊं मेरी माँ मुझे
इसलिए अपने गम बताती नहीं,
मैं भूखा ना रह जाऊं इसलिए वो
रोटी अपने लिए बचाती नहीं।
मेरी खातिर तेरा रोटी पकाना याद आता है,
अपने हाथो को चूल्हे में जलाना याद आता है।
वो डांट-डांट कर खाना खिलाना याद आता है,
मेरे वास्ते तेरा पैसा बचाना याद आता है।
ठोकर न मार मुझे पत्थर नहीं हूँ मैं,
हैरत से न देख मुझे मंज़र नहीं हूँ मैं,
तेरी नज़रों में मेरी क़दर कुछ भी नहीं,
मेरी माँ से पूछ उसके लिए क्या नहीं हूँ मैं।
वह माँ ही है जिसके रहते,
जिंदगी में कोई गम नहीं होता,
दुनिया साथ दे या ना दे पर,
माँ का प्यार कभी कम नहीं होता।
सब कुछ मिल जाता है दुनिया में मगर,
याद रखना कि माँ-बाप नहीं मिलते,
मुरझा कर जो गिर जाये एक बार डाली से,
ये ऐसे फूल हैं जो फिर नहीं खिलते।
माँ से रिश्ता ऐसा बनाया जाए,
जिसको निगहों में बिठाया जाए,
रहे उसका मेरा रिश्ता कुछ ऐसे कि,
वो अगर उदास हो तो हमसे श्री मुस्कुराया ना जाऐ।
किसी भी मुस्किल का अब,
किसी को हल नहीं निकलता ,
शायद अब घर से कोई,
माँ के पैर छुकर नहीं निकलता,
जिंदगी की पहली Teacher माँ,
zindagi की पहली Friend माँ ,
जिंदगी भी माँ
क्योंकि zindagi देने वाली भी माँ,
माँ मैं तुझको खोना नहीं चाहती,
तुझे देख रोना नहीं चाहती,
तुझ से जुड़ गया है दिल मेरा,
तुझे छोड़ कुछ पाना नही चाहती।
हर रिसते में मिलावट देखी है ,
कच्चे रंगो की सजावट देखी है,
लेकिन सालों साल देखा है, माँ को
Maa shayari 2 lines
माँ से बड़कर कोई नाम क्या होगा
इस नाम का हमसे एहतराम क्या होगा
जिसके पैरों के नीचे जन्नत है
उसके सर का मक़ाम क्या होगा
घुटनों से रेंगते-रेंगते जब
पैरों पर खड़ा हो गया,
माँ तेरी ममता की छाँव में,
जाने कब बड़ा हो गया।
हैरान हो जाता हूँ मैं अक़्सर,
देखकर खुदाओं के दर पे हुजूम,
माँ, तेरी गोद में मुझे,
जन्नत का एहसास होता है।
इस दुनिया में जितने रिश्ते , सारे झूठे बेहरूप,,
एक माँ का रिश्ता सबसे अच्छा ,माँ है रब का रूप।
हालातों के आगे जब साथ ना जुबौं होती है,
पहचान लेती है खामोशी में हर दर्द वो सिर्फ ” माँ ” होती है।
Maa shayari 2 lines
मैं करता रहा सैर जन्नत में रातभर सुबह,
आँख खुली तो देखा सर माँ के कदमों में था। Maaaa
जब – जब कागज पर लिखा मैने माँ का नाम ,
कलम अदब से बोल उठी हो गये चारो धाम।
Maa shayari 2 lines
है एक कर्ज़ जो हर दम सवार रहता है,
वो माँ का प्यार है . सब पर उधार रहता है ! !
जिस के होने से मैं खुदको मुक्कम्मल मानती हूँ ,
मेरे रब के बाद मैं बस अपने माँ – बाप को जानती हूँ
Maa shayari 2 lines
ज़िन्दगी में ऊपर वाले से इतना जरूर मांग लेना की,
माँ के बिना कोई घर ना हो और कोई माँ बेघर ना हो।
Maa shayari 2 lines
उसके चहरे पे न कभी थकावट देखी है,
न ममता में कभी मिलावट देखी है।