Best Javed Akhtar Shayari in Hindi | Javed Akhtar Quotes in Hindi | जावेद अख्तर शायरी
100+ Javed Akhtar Shayari in Hindi
दर्द के फूल भी खिलते है
बिखर जाते है जख्म कैसे भी हो
कुछ रोज़ में भर जाते है
बंध गई थी दिल में कुछ उम्मीद सी
ख़ैर तुम ने जो किया अच्छा किया
दिल को घेरे है
रोजगार के गम
रद्दी में खो गयी
किताब कोई
जब आईना तो देखो इक अजनबी देखो
कहां पे लाई है तुमको ये ज़िंदगी देखो
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कभी जो ख़्वाब था वो पा लिया है
मगर जो खो गई वो चीज़ क्या थी
जाते जाते वो मुझे अच्छी निशानी दे गया
उम्र भर दोहराएंगे ऐसी कहानी दे गया
उस से मैं कुछ पा सकू ऐसी कहाँ उम्मीद थी
ग़म भी शायद बराए मेहरबानी दे गया
खैर मैं प्यासा रहा पर उसने इतना तो किया
मेरी पलकों की कितरों को वो पानी दे गया
दर्द अपनाता है पराए कौन
कौन सुनता है और सुनाए कौन
कौन दोहराए वो पुरानी बात
ग़म अभी सोया है जगाए कौन
वो जो अपने हैं क्या वो अपने हैं
कौन दुख झेले आज़माए कौन
अगर दुसरो के जोर पर
उड़कर दिखाओगे
तो अपने पैरो से उड़ने
की हुनर भूल जाओगे
सँवरना ही है तो किसी की नजरों में संवरिये,
आईने में खुद का मिजाज नहीं पूछा करते
जो भी मैंने काम किया है
वो मेने दिल के करीब से ही किया है।
जो काम मेरे दिल के करीब नहीं था,
उसको मैंने कभी किया ही नहीं।
हंसती आंखो में झांककर देखो
कोई आंसू नहीं छुपा होगा
अक्ल ये कहती है दुनिया
मिलती है बाजार में
दिल मगर ये कहता है कुछ
और बेहतर देखिए
बहाना ढूंढते रहते है रोने का
हमे ये शौक है क्या आस्तीन भिगोने का
अगर पलक पर है मोती तो ये नही काफ़ी
हुनर भी चाहिए अल्फाज में पिरोने का
जो फसल ख्वाब की तैयार की है तो ये जानो
की वक्त आ गया फिर दर्द कोई बोने का
ये जिंदगी भी अजब कारोबार है
की मुझे खुशी है पाने की कोई रंज ना खोने का
है चकनाचूर फिर भी मुस्कुराता है
वो चेहरा जैसे हो टूटे हुए खिलोने का
तब हम दोनो वक्त चुका कर लाते थे
अब मिलते है जब भी फुर्सत होती है ।
अगर लहरों को है दरिया में रहना
तो उनको होगा अब चुपचाप जाना
हमको तो बस तलाश नए रास्तों की है
हम है मुसाफिर ऐसे जो मंजिल में। आए है ।
तुम फुजूल बातो का दिल पर बोझ मत लेना
हम तो खैर कर लेंगे जिंदगी बसर तन्हा
जो भी मैंने काम किया है,
वो मेने दिल के करीब से ही किया है।
जो काम मेरे दिल के करीब नहीं था,
उसको मैंने कभी किया ही नहीं।
उनकी चिरागो में तेल ही कम था
क्यों गिला फिर हम हवा से करे
हमको उठना तो मुंह अंधेरे था
लेकिन एक ख्वाब हमको घेरे था
अगर आप जिंदा हैं तो
आपको वक्त के साथ बदलना चाहिए।
सपना कभी साकार नहीं होता
मोहब्बत का कभी आकार नही होता
सब कुछ हो जाता है इस दुनिया में
मगर दोबारा किसी से प्यार नहीं होता
इश्क और सुबह की चाय
दोनो एक समान होती है
एक बार वही नयापन
एक बार वही ताज़गी
ये दुनिया भर के झगड़े
घर के किस्से काम की बाते
बला हर एक टल जाए
अगर तुम मिलने आ जाओ
अहसान करो तो दुआओं में। मेरी मौत मांगना
अब जी भर गया है जिंदगी से
एक छोटे से सवाल पर इतनी खामोशी क्यों
बस इतना ही पूछा था कभी वफा की किसी से
किसी को क्या बताए की कितना मजबूर हूं
चाहा था सिर्फ एक तुमको और तुमसे ही दूर हूं
काश कोई हम पर भी इतना प्यार जताती
पीछे से आकर वो हमारे आंखो को छुपाती
झूठे इल्जाम मेरी जान
लगाया ना करो
दिल है नाजुक इसे तुम
ऐसे दुखाया ना करो
क्यूं है ? कब तक है ? किस की खातिर है
बड़े संजीदा मसले है हम
हंसती आंखों में झांककर देखो
कोई आंसू कही छुपा होगा
काटों का भी अहसान अदा कीजिए हुजूर
कई बार फूलो की लाज बचाई होगी
में और मेरी तनहाई अक्सर ये बात करती है
तुम होती तो कैसा होता
मुझे गम है की मैंने
ज़िन्दगी में कुछ नहीं पाया
यह गम दिल से निकल जाये
अगर तुम मिलने आ जाओ
अक्सर वो कहते है वो मेरे है
अक्सर वो क्यों कहते है हैरत होती है
खुदगर्ज बना देती है तलब की शिद्धत भी
प्यासे को कोई दूसरा प्यासा नहीं लगता
चलो तुम रास्ते खोजो बिछड़ने के
हम माहौल पैदा करते है मिलने के
इस शहर में जीने के अंदाज़ निराले है
होठो पे लतीफे है आवाज़ में छाले है
जब आइना देखो इक अजनबी देखो
कहाँ पे लाई है तुम ये ज़िन्दगी देखो
कुछ कमी अपनी वफाओं में भी थी
तुमसे क्या कहते तुमने क्या किया
संवरना है तो किसी के नज़रो में सवरिये
आइना में खुद का मिजाज़ पूछा नहीं करते
कभी जो ख्वाब था वो पा लिया है
मगर जो खो गयी वो चीज़ क्या थी
मुझे मायूस भी करती नहीं है
यह आदत तेरी अच्छी नहीं है
डर हमको लगता है रास्ते के सन्नाटे से
लेकिन एक सफर पर ए दिल अब जाना होगा
अभी जमीर में थोड़ी सी जान बाकी है
अभी हमारा कोई इम्तिहान बाकी है
हमारे घर को तो उजड़े हुए जमाना हुआ
मगर सुना है अभी वो मकान बाकी है
ऊंची इमारतों से मकान मेरा गिर गया
कुछ लोग मेरे हिस्से का सूरज भी खा गए
मेरी बुनियादों में कोई टेड थी
अपनी दीवारों को क्या इल्जाम दूं
अपनी वजहें बर्बादी सुनिए तो मजे की है
जिंदगी से यूं खेले जैसे दूसरे की है
ऐ सफर इतना बेकार तो ना जा
ना हो मंजिल कहीं तो पहुंचा दे
कोई शिकवा न गम न कोई याद
बैठे बैठे बस आंख भर आई
आगही से मिली है तन्हाई
आ मेरी जान मुझ को धोका दे
खुला है दर प तिरा इंतजार जाता रहा
खुलुस तो है मगर एतबार जाता रहा
खून से सिंची है मैने जो जमीं मर मर के
वो जमीं एक सितम गर ने कहा उसकी है
याद उसे भी एक
अधूरा अफसाना तो होगा
कल रास्ते में उसने हमको
पहचाना तो होगा
बुलंदी पर उन्हें
मिट्टी की खुशबू तक नहीं आती
ये वो शाखे है जिनको अब शहर
अच्छा नही लगता
जब आईना देखो एक अजनबी देखो
कहां पे ले आई तुमको ये जिंदगी देखो
सब का खुशी से फासला एक कदम है
हर घर में बस एक ही कमरा कम है ।
खुश शक्ल भी है ये अलग बात है
मगर हमको जाहिल लोग हमेशा अजीज थे
जिधर जाते है जाना उधर अच्छा नही लगता
मुझे पामाल रास्तों का सफर अच्छा नही लगता
गलत बातो को खामोशी से सुनना हामी भर लेना
बहुत है फायदे इसमें मगर अच्छा नही लगता
झूठे इल्जाम मेरी जान लगाया ना करो
दिल है नाजुक इसे तुम ऐसे दुखाया ना करो
तुम्हारे पास तो फिर भी तुम हो
मेरे पास तो अब मैं भी नही
ओ निहार एक किस्सा है दुनिया के वास्ते
फरहाद ने तराशा था खुद को छत्ताओ पर
अगर फलक में है मोती तो ये नही काफ़ी
हुनर भी चाहिए अल्फाज में पिरोने का
दिलों में तुम अपनी
बेताबियां लेके चल रहे हो
तो जिंदा हो तुम
नजर में ख्वाबों की
बिजलियां ले के चल रहे हो
आज फिर दिल ने एक तमन्ना की
आज फिर दिल को हमने समझाया
जिंदगी धूप तुम घना साया
तुम्हे भी याद नहीं में भी भूल गया
वो लम्हा कितना हसीन था मगर फिजूल गया
गिन गिन के सिक्के हाथ मेेरा खुदरा हुआ
जाती रही वो स्पर्श की नरमी बुरा हुआ
एक वही शख्स मुझे याद आ रहा है
जिसको चाहा था भूल जाऊं मैं
तुम फुजूल बातों का दिल में बोझ मत लेना
हम तो खैर कर लेंगे जिंदगी बसर तन्हा
बदन में कैद खुद को पा रहा हूं
बड़ी तन्हाई है घबरा रहा हूं
ठीक लिखा था मेरे हाथों के लकीरों में
तू अगर प्यार करेगा तो बिखर जायेगा।
कुछ बातों के मतलब है कुछ मतलब की बातें
जो ये फर्क समझ लेगा वो दीवाना तो होगा ।
यही हालात इब्तिदा से रहें
लोग हम से खफा से रहे
आज मैंने अपना फिर सौदा किया
और में फिर दूर से देखा किया
जिंदगी भर मेरे काम आए असूल
एक एक करके मैंने उन्हें बेचा किया
वो सांप छोड़ दे डसना
ये मैं भी कहता हूं
मगर न छोड़ेंगे लोग उसको
गर न फुंकारा
यह जो घेर सन्नाटे है
वक्त ने सबको जी बनाते है
थोड़ा घूम है सबका किस्सा
थोड़ा धूप है सबका हिस्सा
आंख तेरी बेकार ही नम है
हर पल एक नया मौसम है
क्यों तू ऐसे पल खोता है
दिल आखिर तू क्यों रोता है।
आओ न मोहब्बत के नगमे
फिर से आंखो के सिलवटो पर रखते है।
तू गुजर जाए करीब से
वो भी मुलाकात से कम नही
उस दरीचे में भी अब कोई नहीं और हम भी
सर झुकाए हुए चुप-चाप गुज़र जाते हैं
ग़ैरों को कब फ़ुर्सत है दुख देने की
जब होता है कोई हमदम होता है
उस के बंदों को देख कर कहिए
हम को उम्मीद क्या ख़ुदा से रहे
मैं बचपन में खिलौने तोड़ता था
मिरे अंजाम की वो इब्तिदा थी
मुझे मायूस भी करती नहीं है
यही आदत तिरी अच्छी नहीं है
नेकी इक दिन काम आती है हम को क्या समझाते हो
हम ने बे-बस मरते देखे कैसे प्यारे प्यारे लोग
फिर ख़मोशी ने साज़ छेड़ा है
फिर ख़यालात ने ली अंगड़ाई
ख़ून से सींची है मैं ने जो ज़मीं मर मर के
वो ज़मीं एक सितम-गर ने कहा उस की है
अगर पलक पे है मोती तो ये नहीं काफ़ी
हुनर भी चाहिए अल्फ़ाज़ में पिरोने का
डर हम को भी लगता है रस्ते के सन्नाटे से
लेकिन एक सफ़र पर ऐ दिल अब जाना तो होगा
दुख के जंगल में फिरते हैं कब से मारे मारे लोग
जो होता है सह लेते हैं कैसे हैं बेचारे लोग
है पाश पाश मगर फिर भी मुस्कुराता है
वो चेहरा जैसे हो टूटे हुए खिलौने का
एक ये दिन जब अपनों ने भी हम से नाता तोड़ लिया
एक वो दिन जब पेड़ की शाख़ें बोझ हमारा सहती थीं
तुम ये कहते हो कि मैं ग़ैर हूँ फिर भी शायद
निकल आए कोई पहचान ज़रा देख तो लो
बढ़ के तूफ़ान को आग़ोश में ले ले अपनी
डूबने वाले तिरे हाथ से साहिल तो गया
जो तूफ़ानों में पलते जा रहे हैं
वही दुनिया बदलते जा रहे हैं
सदा एक ही रुख़ नहीं नाव चलती
चलो तुम उधर को हवा हो जिधर की
शह-ज़ोर अपने ज़ोर में गिरता है मिस्ल-ए-बर्क़
वो तिफ़्ल क्या गिरेगा जो घुटनों के बल चले
ये कह के दिल ने मिरे हौसले बढ़ाए हैं
ग़मों की धूप के आगे ख़ुशी के साए हैं
हम को मिटा सके ये ज़माने में दम नहीं
हम से ज़माना ख़ुद है ज़माने से हम नहीं
इन्ही ग़म की घटाओं से ख़ुशी का चाँद निकलेगा
अँधेरी रात के पर्दे में दिन की रौशनी भी है
अब हवाएँ ही करेंगी रौशनी का फ़ैसला
जिस दिए में जान होगी वो दिया रह जाएगा
अपना ज़माना आप बनाते हैं अहल-ए-दिल
हम वो नहीं कि जिन को ज़माना बना गया
अभी से पाँव के छाले न देखो
अभी यारो सफ़र की इब्तिदा है
वक़्त की गर्दिशों का ग़म न करो
हौसले मुश्किलों में पलते हैं