प्रस्तावना : सभी ग्रहों में से सिर्फ पृथ्वी ही एकमात्र ऐसा ग्रह है जहाँ जीवन व्यतीत करने के सभी साधन उपलब्ध है साथ ही विज्ञान ने एक उच्च स्तर पर दुनिया को चमका दिया है
लेकिन उस चमकती दुनिया के अंदर आग का बवंडर फैला हुआ है उसके अलावा मानव जाति अपनी अपेक्षाओं के पूर्ति के लिए प्रकृति को नष्ट करने के कगार पर इस तरह उतर गए है की भविष्य में मानव जाति के इस गलती का भुगतान समस्त जीव करेगी ।
जिस प्रकृति में जीवन जीना पूर्ण रूप से संतुलित था आज उसी प्रकृति में असंतुलन के कारण रहना कठिन हो गया है I बढ़ते प्रदूषण के कारण वातावरण में सब कुछ अशुद्ध होता जा रहा है I
सरकार प्रदूषण के प्रति समाज को जागरूक करने के लिए कुछ ना कुछ नियम निकालती रहती है जिससे लोग पर्यावरण बचाने के लिए जागरूक हो।
प्रदूषण सिर्फ धरती ही नहीं सम्पूर्ण वातावरण को नुकसान पहुंचा रही है जिसे रोकने के लिए आज अगर सख्त कदम नहीं उठाए गए तो प्रकृति भयंकर रूप धारण करके हम समस्त जीव का विनाश कर देगी I
Pollution Essay in Hindi
प्रदूषण का अर्थ : प्रदूषण का अर्थ है प्राकृतिक चीजों का नाश होना है । जब उपहार में मिली प्रकृति वस्तु जैसे भूमि , वायु, जल ध्वनि आदि जब संतुलित नहीं रह पाते है तब असंतुलन उत्पन्न होता है यही असंतुलन प्रदूषण कहलाता है ।
जिससे भूमण्डल प्रभावित होने से सिर्फ मानव जाति ही नहीं बल्कि जीव जंतु को भी नुकसान हो रहा है । सरल भाषा में कहे तो पर्यावरण में परिवर्तन जो प्रकृति के गुणवत्ता को प्रभावित करे वो प्रदूषण कहलाता है ।
बढ़ते प्रदूषण को अनदेखा करने से एकमात्र परिणाम हमारे सामने होगा प्रकृति का विनाश सभी सजीव प्राणियों का विनाश I
प्रदूषण के प्रकार
समय समय पर खोज से प्रदूषण के कई प्रकारों का आविष्कार हो चुका है जिनमे से मुख्य है जल, वायु , ध्वनि,रेडियोधर्मी और मृदा प्रदूषण ।
यह सभी प्रदूषण सबसे ज़्यादा नुकसान पंहुचा रहे है अगर इन सभी प्रकारो के प्रदूषण को कम करने पर काम किया जाये तो वातावरण में कम से कम 75 प्रतिशत प्रदूषण का स्तर कम हो जायेगा I
प्रदूषण के प्रकारो का विस्तार विवरण
जल प्रदूषण : साफ जल का स्तर दिन प्रतिदिन घटता जा रहा है इसकी गुणवत्ता में कमी ही जल प्रदूषण है । घरों से निकलने वाला पानी ,फैक्ट्री कारखानों,मील से निकलने वाला सारा पानी नदी में प्रवाहित होता है जिस वजह से पीने योग्य पानी प्रदूषित होता जा रहा है ।
दूषित पानी पीने से लाखों लोग बीमार होकर मर रहे है इतना ही नहीं नदियों में प्लास्टिक जैसे कूड़ा फेंकने से पानी का भाव रुकने लगता है
जिसके वजह से पानी में दुर्गन्ध आने लगता है इतना ही नहीं प्रदूषण के प्रभाव को जांचने के लिए जब सरकार ने सर्वे किया तो पता चला भारत जैसे देश में प्रति घण्टे 80 लोगो की मृत्यु हो रही है लोगो का ये लापरवाही दर्शाता है यह आंकड़ा दिन -प्रतिदिन बढ़ता चला जायेगा I
वायु प्रदूषण : मोटर वाहन की धुआं , प्लास्टिक जलाने से निकलने वाले दूषित धुआं आदि वायु को अशुद्ध बनाती है जिसे वायु प्रदूषण कहा जाता है ।
इसके साथ ही रासायनिक विषैले गैस जैसे कार्बन डाइऑक्साइड , हलोगेनटेड, नाइट्रोजन ,सल्फर गैस भी वायु को प्रदूषित कर रहा है ।फैक्ट्री ,कारखाना बनाने के लिए पेड़ -पौधे भी काटे जा रहे है ।
सर्वे के अनुसार पता चला है वायु प्रदूषण के कारण कम से कम 14 लाख लोगो की मृत्यु हो रही है । वायु प्रदूषण बढ़ने का एक और कारण है लोग अपने सुविधाओं के लिए पेड़ -पौधों को अँधाधुन काट रहे है जिससे जंगल नष्ट होता जा रहा है ।
शुद्ध हवा ना होने के कारण अस्थमा ,कैंसर ,चर्म रोग , आँखों का नुकसान ,ह्रदय संबंधी रोग बढ़ते ही जा रहे है । वर्तमान स्थति को देखते हुए ये अंदाज़ा लगाया जा सकता है आने वाले समय में मौत के आंकड़े दोगुना हो जायेंगे I
मृदा प्रदूषण – ओधोगिक और घर का कचरा ऐसे ही कही भी फेंक देने से मिटटी पर इकठ्ठा हो जाता है
अधिक प्रयास के बाद भी इसका पूनःचक्रण नही हो पाता जिससे वह स्थान बंजर बन जाता है और वहाँ खेती नहीं हो पाती इसके अलावा कूड़े की वजह से मच्छर ,मख्खियां और छोटे कीड़े पनपते है इसलिए प्लास्टिक का उपयोग कम करना चाहिए।
ध्वनि प्रदूषण : उच्च ध्वनि जैसे लाउडस्पीकर, हॉर्न, वाहन , फैक्ट्री मशीनों की आवाज ,कंस्ट्रक्शन का काम जैसे कार्य का बढ़ना ही ध्वनि प्रदूषण। है।
अगर चाहे तो ध्वनि प्रदूषण। को कम किया जा सकता है क्योंकि यह प्रदूषण सिर्फ युवाओं को नहीं बल्कि बूढ़े लोगो को भी नुकसान पहुंचाती है ज़्यादा समय तक अधिक ध्वनि व्यक्ति के मानसिक संतुलन बिगाड़ सकता है ।
वो अपने सुनने की शक्ति को खो सकता है इतना ही नहीं इससे न्यूरोटिक मेंटल डिसऑर्डर होना सामान्य बात है ।उच्च ध्वनि से रक्तचाप , घबराहट , सिर में दर्द , अल्सर जैसे रोगों का सामना करना पड़ता है।
रेडियोधर्मी : रेडियोधर्मी विकिरणों से फैलने वाला प्रदुषण है जहां ठोस , तरल और गैसीय पदार्थ में अनायास या अवांछनीय रेडियोधर्मी पदार्थ की उपस्थिति होती है। इसे नाभिकीय प्रदूषण भी कहते है I
ये रेडियोधर्मी तीन प्रकार के होते है पहला ऐसे अवशिष्ट जो धातु के खदानों में शेष रहते है दूसरा परमाणु भट्टी से विघटित पदार्थ तीसरा ऐसे उत्पाद जो क्रियात्मक होते है लेकिन रेडियोधर्मी के साथ मिलकर वो भी रेडियोधर्मी हो जाते है I यह रेडियोधर्मी प्रदूषण वायुमण्डल को सबसे ज़्यादा प्रदूषित करते है I
प्रदूषण के स्रोत्र
- कूलर, पौधे में जमा पानी
- रासायनिक पदार्थ
- पेड़ काटना
- प्लास्टिक
- ऊर्जा का अधिक उपयोग
- ध्वनि
- जनसंख्या वृद्धि
- जागरूक ना होना
- कूड़ा का जमाव
प्रदुषण संतुलन के उपाय
अधिक मात्रा में पेड़ लगाना एकमात्र ऐसा उपाय है जिससे प्रदूषण को कम किया जा सकता है। शुद्ध हवा पाने के लिए हर घर में पौधा होना बहुत जरूरी है।
गाड़ियों के उपयोग को कम करना :
आजकल मनुष्य अपने ऐशो आराम की जिंदगी जीने के आड़ में भविष्य में इसके अंजाम को अनदेखा कर रहे है I
उन्ही में से एक है गाड़ियों का उपयोग प्रत्येक वर्ष वाहनों के खरीद की संख्या बढ़ती चली जा रही है जिससे उन वाहनों से निकलने वाली धुआं प्रकृति को हानि पहुंचा रहा है इसका एक सरल उपाय है
व्यक्ति को जितना हो सके पैदल चलना चाहिए या फिर साइकिल की सहायता लेनी चाहिए जिससे स्वास्थ्य भी उत्तम बना रहेगा। वो चाहे तो शेयर ऑटो का उपयोग भी कर सकते है I
अगर गाड़ी चलाते भी है तो ध्यान रहे समय समय पर गाड़ी का पॉलुशन चेक करवाते रहे साथ ही प्रत्येक तिमाही पर ऑयल बदलवाए I
प्लास्टिक पर सख्ती से पाबंदी लगाना : प्रदूषण बढ़ाने का कार्य सबसे ज्यादा प्लास्टिक कर रही है । लोग इसके उपयोग के बाद ऐसे ही कूड़ेदान में फेंक देने से जानवर इसका सेवन करके बेमौत मारे जा रहे है इतना ही नहीं प्लास्टिक मृदा को भी बंजर बना रही है।
प्लास्टिक जलाने से जहरीले वायु प्रदूषण का आविष्कार भी हो रहा है इसलिए कोशिश करें प्लास्टिक का उपयोग अपनी दिनचर्या में ना के बराबर करे पैकिंग वस्तुओं का उपयोग कम करें
जल को साफ बनाने में सहयोग दे
फैक्ट्री से निकलने वाले पदार्थ को सीधा नदी में ना बहने दे। इसके अलावा आस – पास के नालियों में कूड़ा ना फेकें क्योंकि कूड़ा जम जाने से नाली रुक जाती है जिस कारण वह गंदा काला पानी सीधे नदियों में जाकर पानी को और ज्यादा गन्दा कर रहा है। मूर्ति ,धूपबत्ती जैसे पूजा पाठ के सामग्री को नहीं में नहीं बहाना चाहिए I
खाद बनाए : कूड़ा जलाने से ज्यादा अच्छा है सभी फल सब्जियों के छिलके आदि का खाद बनाकर खेतों में डाला जाए जिससे फसल का पैदावार अच्छा हो । जिन कूड़ो से खाद नहीं बनाया जा सकता उसको रिसाइकिल करके पुनः उपयोग में लाना चाहिए ।
आस – पास साफ़ – सफाई रखना : कूड़ा कूड़ेदान में फेंके I कही भी यात्रा करते समय एक बैग में अपना कूड़ा – कचरा रखे इसके साथ – साथ अगर कही कूड़ा दिखाई दे उसको उठा कर फेंके I साफ़ – सफाई रख कर भी प्रदूषण को कम कर सकते है साथ ही घर या छत की सफाई करते वक़्त पानी का छिड़काव अवश्य करे जिससे धूल ना उड़े I
कूड़ा ना जलाएं : कोई भी तार,कूड़ा -कचरा ना खुद जलाएं ना किसी को ऐसा करने से I सार्वजनिक स्थान पर धूर्मपान रोके , मकान बनाते समय सभी सामान सड़क पर ना फैलाएं इसके अलावा डिस्पोजल से ज़्यादा बर्तनो का इस्तेमाल करे I
नियम का पालन करना
सरकार के द्वारा प्रदूषण कम करने के जो भी नियम बनाए गए है उनका सख्ती से पालन हो । सिर्फ नियम बना देना ही प्रदूषण कम कर देना नहीं होता इसके लिए ईमानदारी से कार्य करना जरूरी है ।
जागरूकता फैलाए :
ग्रामीण से लेकर शहरी क्षेत्रों में कई लोग ऐसे है जो प्रदूषण को लेकर जागरूक ही नहीं है उनको यह सब बेकार लगता है अधिक रोकने पर भी नहीं रुकते है ऐसे लोगो को समझाना ज़रूरी है
अगर हम समय रहते प्रदूषण कम नहीं करेंगे तो वातावरण हमारे अनुकूल नहीं होंगी इसके अलावा हमारी आने वाली पीढ़ी को इससे भी कहीं ज़्यादा समस्याओं का सामना करना पड़ेगा इतना ही नहीं फिर जीवन व्यतीत करना भी मुश्किल हो जाएगा I
प्रदूषण कम करने के प्रत्येक कार्यकर्मो में भाग लेकर भी समाज को जागरूक कर सकते है
निष्कर्ष
दिन पर दिन प्रदूषण बढ़ने के वजह से एक वक़्त ऐसा आएगा जब हमारे पास खाने के लिए ना शुद्ध खाना होगा, ना पीने के लिए पानी होगा तथा ऑक्सीजन ना होने के कारण जीव की मृत्यु होने लगेगी I
वातावरण में ऋतुएँ हमारे अनुकूल नहीं होंगी जिससे रहना भी मुश्किल हो जायेगा I प्रदूषण कम करने के लिए भारत सरकार द्वारा उठाये गए सभी कदमो पर समाज का सहयोग बहुत ही ज़रूरी है I विश्व स्तर पर ये कदम और कठिन होने चाहिए